5 SIMPLE STATEMENTS ABOUT पारद शिवलिंग कैसे बनता है EXPLAINED

5 Simple Statements About पारद शिवलिंग कैसे बनता है Explained

5 Simple Statements About पारद शिवलिंग कैसे बनता है Explained

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अध्यात्माबद्दल जरा जरी आकर्षण असलेल्या व्यक्तीला पारद शिवलिंगाची उपासना केलीच पाहिजे असे माझे मत आहे.

पारे से बने शिवलिंग का है विशेष महत्व, इसके स्पर्श मात्र से मिलता है पुण्य

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शिव पुराण में कहा गया है कि जो लोग पारद शिवलिंग अपने घर में रखते हैं, उनके घर में देवी लक्ष्मी, भगवान शिव और भगवान कुबेर स्थायी रूप से निवास करते हैं। पारद शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है क्योंकि पारद शिवलिंग की पूजा का प्रभाव किसी अन्य शिवलिंग की पूजा से एक हजार करोड़ गुना अधिक होता है। ऐसी भी मान्यता है कि इनकी पूजा करने से ब्लड प्रेशर, अस्थमा जैसी बीमारियों में भी राहत मिलती है।

पारद, जिसे पारा भी कहा जाता है, एक तरल धातु है। पारद शिवलिंग को अत्यंत शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में इसकी महिमा का वर्णन इस प्रकार है:

अगर किसी व्यक्ति पर नकारात्मक शक्तियों का या ग्रहों के अशुभ प्रभाव का असर है तो पारद शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं और फिर गंगाजल को उस व्यक्ति पर छिड़क दें, ऐसा करने से सभी नकारात्मक चीजें दूर हो जाती हैं। साथ ही अगर आप उस गंगाजल को कार्यक्षेत्र या व्यापारिक स्थल पर छिड़क देते हैं तो उन्नति होती है और लाभ के नए अवसर भी read more प्राप्त होते हैं।

असली पारद शिवलिंग की पहचान करना सबसे मुश्किल काम है यह एक ऐसा  प्रश्न है जो सबसे ज्यादा  पूछा जाता है। अगर हम इधर उधर की बात न करे तो असली पारद शिवलिंग को पहचान पाना बहुत ही मुश्किल है।  क्यों कि असली और नकली दिखने में एक जैसे होते है इनमे कोई फर्क नहीं होता।  असली या नकली पारद शिवलिंग  बेचना दुकानदार के ऊपर निर्भर करता है।  लेकिन अगर आप फिर भी  जांचना चाहे तो आप उसकी फिनिशिंग से देख सकते है कि वो असली है या नकली। एक बात ध्यान रखियेगा  कि असली और नकली दोनों ही तरह के पारद शिवलिंग हाथ पर घिसने से कालिख  छोड़ते है। और ये बात बिलकुल झूठ है कि यह पानी से भीगने के बाद धूप में रख देने से शुद्ध सोने की तरह चमकने लगता है ।  पारा कभी भी सोने की तरह नहीं लगता है।  ये बस एक ट्रिक है।  

- दूध-शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है।

उपरोक्त कार्य सोमवार, त्रयोदशी, शिवरात्रि या श्रावण के मास में नित्य करेंगे, तो लाभ मिलेगा।

यदि आपके घर में शिवलिंग है, तो इसके नियम जानकर उनका पालन जरूर करें, तभी आपकी पूजा फलित हो पाएगी.

शिवलिंग पर संध्या के समय जल चढ़ाया जा सकता है। शाम के समय जल चढ़ाने के लिए किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है व्यक्ति अपनी श्रद्धा से शिवलिंग पर सुबह और शाम दोनों ही स

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उसके बाद जातक को पूर्व-उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए।

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